लगभग ४0 साल की लतिका, फँसा हुआ महसूस करती है शादी-बच्चों वाली नीरस ज़िंदगी और एक नोवेलिस्ट बनने के अधूरे सपने के बीच। घटनाओं से भरे एक दिन वो अपने जीवन में किए फैसलों पर फिर से विचार करती है। यहाँ तक कि अपनी शादी पर भी। जब कुछ खट्टी-मीठी यादें और ‘यूँ होता तो क्या होता’ की कल्पनाएँ उसके दिमाग में उठती हैं, तो उसे समझ आता है कि अतीत पर सवाल उठाना बेकार है और सारे जवाब उसके अंदर ही हैं।
Name | Type | Role | |
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Nupur Asthana | Director |