जब एक अपहरण, राजनेता बरुण रॉय को खतरनाक डॉन बाघा पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर देता है, तो वह यह ज़िम्मेदारी सबसे काबिल शख्स - ऑफ़िसर सप्तर्षि सिन्हा को सौंपता है.
फ़ौलादी पुलिसवाला अर्जुन मैत्रा, बाघा का केस ले लेता है. विपक्ष की नेता निबेदिता बसाक, सप्तर्षि के अंजाम के लिए न्याय की मांग करती है. बरुण के पास सागर के लिए एक ऑफ़र है.
निबेदिता अपने गुज़रे हुए कल के एक शख्स से मिलती है और अर्जुन को एक रहस्यमयी मुखबिर से परेशान करने वाली खबर मिलती है. अधिकारी, अर्जुन को अपने रास्ते से हटाना चाहते हैं.
गम में डूबा सागर बदला लेने के लिए क्रूर हिंसा पर उतर आता है. सागर के अपराधों को खत्म करने के लिए, अर्जुन को एसआईटी के प्रमुख के तौर पर बहाल किया जाता है.
सागर का आपत्तिजनक "बीमा" वीडियो सामने लाया जाता है. रंजीत, सागर से मिलने जाता है. अर्जुन को एसआईटी में मौजूद भेदिए की चौंकाने वाली पहचान के बारे में पता चलता है.
अर्जुन को अपनी फ़ोर्स में मौजूद भेदिए के बारे में और जानकारी मिलती है. वहीं, रंजीत एक अप्रत्याशित सहयोगी के साथ भागने का प्लान बनाता है, क्या अर्जुन उसे रोक पाएगा?