कृष्ण दुर्योधन को एक वास्तविकता की जाँच देते हैं, क्योंकि वह तीन युद्ध शिल्प नियमों, अवसर, आश्चर्य और हमले को स्पष्ट करता है। वह यह भी बताते हैं कि दुर्योधन को बड़ी सेना इकट्ठा करने और योद्धाओं को लुभाने के बजाय इस त्रि-मंत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था।